भारत की क्रिप्टो करेंसी कौन सी है?
क्रिप्टोकरेंसी क्या है?
क्रिप्टोकरेंसी रुपया या अमेरिकी डॉलर की ही तरह विनिमय का एक माध्यम है, लेकिन यह प्रारूप में डिजिटल है जो मौद्रिक इकाइयों के सृजन को नियंत्रित करने और धन के विनिमय को सत्यापित करने के लिये एन्क्रिप्शन तकनीकों (Encryption techniques) का उपयोग करती है।
साल 2021 में क्रिप्टोकरेंसी के बाजार में 2020 की तुलना में साढ़े 15 प्रतिशत की वृद्धि देखने को मिली थी। जहां 2020 में भारतीय निवेशकों ने क्रिप्टोकरेंसी में महज 28.10 मिलियन यूएस डॉलर का निवेश किया था वहीं साल 2021 में यह बढ़कर लगभग 438.18 मिलियन यूएस डॉलर हो गया था। साल 2022 के बीते छह महीनों में क्रिप्टोकरेंसी में लगभग 139.9 मिलियन डॉलर का निवेश देखने को मिला है।
दुनियाभर के बाजारों में इस साल के शुरुआत से मंदी के कारण क्रिप्टो बाजार में भी इसका असर देखने को मिला है। बीते कुछ समय से बाजार में क्रिप्टोकरेंसी के कमजोर होने से बड़े पैमाने पर भारतीय निवेशक भी इससे पैसा बाहर निकालते दिख रहे हैं। इससे बाजार में इस बात पर बहस शुरू हो गई है कि क्या भारत में क्रिप्टोकरेंसी के दिन ढल गए हैं या एक बार फिर एनएफटी या क्रिप्टोकरेंसी के बाजार में रंगत लाैटेगी?
साल 2022 में भारत में क्रप्टो से जुड़े कुछ नए नियम भी प्रभाव में आए हैं। क्रिप्टो से होने वाली आमदनी पर 30 प्रतिशत टैक्स और क्रिप्टो की लेनदेन में 1 प्रतिशत TDS का प्रावधान इनमें शामिल है। जानकार मानते हैं कि इसका असर क्रिप्टोकरेंसी में निवेश के आकड़ों पर देखने को मिल रहा है। ZebPay के सीईओ अविनाश शेखर के अनुसार नए नियमों के प्रभाव में आने से दिनोंदिन क्रिप्टों में निवेश और इससे जुड़े स्टार्टअप्स के शुरुआत होने के आंकड़ों में कमी देखने को मिली है।
वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम (World Economic Forum) के आंकड़ों के अनुसार साल 2020 में क्रिप्टोकरेंसी सेक्टर में टोटल मार्केट कैपिटलाइजेशन में 187.5 प्रतिशत की बढ़ोतरी देखने को मिली थी। पूरे क्रिप्टोबाजार में सिर्फ बिटकॉइन ने ही लगभग 60 प्रतिशत (59.8%) रिटर्न दिया था।
साल 2021 में एनएफटी (Non-Fungible Token) और मेटावर्स बाजार में निवेश क्रमशः 65 मिलियन अमेरिकी डॉलर और 0.84 मिलियन अमेरिकी डॉलर का निवेश किया गया है। इन निवेशों को देखते हुए इस बात का अनुमान लगाया जा सकता है कि इस सेक्टर में निवेशकों का भरोसा बना हुआ है।
एनएफटी कंपनी nonfungible.com की एक स्टडी के अनुसार एनएफटी में निवेश के ओवरऑल परिदृश्य में साल 2021 में 21000 प्रतिशत की बढ़ोतरी देखने को मिली है।
एनएफटी और मेटावर्स ने ब्लॉकचैन पर उपयोगकर्ताओं को स्वामित्व के प्रमाण की अनुमति भी दे दी है। gurdianlink के सीईओ और कोफाउंडर रामकुमार सुब्रमण्यम के अनुसार साल 2021 में भारतीय डिजिटल बाजार में एनएफटी के कई प्रारूप देखने को मिले। इस दौरान भारतीय सेलिब्रिटीज और ब्राण्ड्स ने भी खुलकर एनएफटी और मेटावर्स कल्चर की वकालत की है।
बाजार से जुड़े विशेषज्ञों का मानना है कि साल 2022 में एनएफटी और मेटावर्स मार्केट में अधिक उपयोगिता-उन्मुख और उपयोगकर्ता आधारित परियोजना देखने को मिल सकते हैं। प्ले टू अर्न की अवधारणा का भी असर देखने को मिलेगा। कई सरकारी इनिशियेटिव्स में भी एनएफटी और मेटावर्स का असर देखने को मिल सकता है।
वहीं अगर बात वैश्विक बाजारों की करें तो साल 2021 में क्रिप्टोकरेंसी, एनएफटी ओर मेटावर्स बाजार में क्रमशः 14270.38 मिलियन डॉलर, 5005.67 मिलियन डॉलर और 661.33 मिलियन डॉलर का निवेश देखने को मिला है। क्रिप्टो बाजार से जुड़ी सॉफ्टवेयर कंपनी एक्सक्यूब लैब्स के वाइस प्रेसिडेंट मार्केटिंग निलेश जहारगिरदार का मानना है कि वैश्विक बाजार में भारत को लीडर के रूप में स्थापित करने के लिए ब्लॉकचेन तकनीक के तहत और अधिक निवेश की जरुरत है। उनका मानना है कि साल 2022 में भारत सरकार के बजट में डिजिटल करेंसी को लेकर जो घोषणाएं की गई हैं उससे भारत में आने वाले दिनों में डिजिटल करेंसी का बाजार बढ़ने की उम्मीदें जगी हैं।
ऐसे में हम यह कह सकते हैं कि भले ही वर्तमान में ग्लोबल बाजारों की अस्थिरता के कारण निवेशक डरकर क्रिप्टो बाजार से पैसे निकाल रहे हैं पर बाजार जैसे ही संभला इसमें दोबारा रंगत लौटने की उम्मीद बनी हुई है। बात अगर मेटावर्स की करें तो भारतीय बाजार अब तक इसके शॉपिंग और लेन-देन के लिए वर्जुअल हब नहीं बन पाया है। हालांकि इस पूरी चर्चा का एक पक्ष यह भी है कि सरकार और केन्द्रीय बैंक भारतीय रिजर्व बैंक की ओर से अब तक एनएफटी को लेकर कोई स्पष्ट नीति सार्वजनिक नहीं की गई है। अभी हाल ही में रिजर्व बैंक के गवर्नर शशिकांत दास ने कहा है कि क्रिप्टोकरेंसी खतरनाक है।
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